भगवा लव ट्रैप से कैसे बचें. ????

🌹 *اَللّٰهُﷻﷻﷻﷻ{﷽}ﷺﷺﷺمُحَمَّد* 🌹 *اَلصَّلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَیۡكَ يَارَسُوۡلَ اللّٰهِ ﷺ* ٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭ बुराई जितनी बुरी हो, एक दिन मिट ही जाती है ؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞ यक़ीनन आपने इसके ताल्लुक से बहुत कुछ पढ़े, सुने और देखे होंगे, और इस से बचने को अमल में भी लाए होंगे, (अल्लाह अमल की तौफीक दे) मगर आज हम थोड़ा बारीकी से एहतियात (सावधानी) के ऊपर गौर करेंगे, इसका (भगवा लव का) तार्रुफ कराने (बताने) की ज़रूरत नहीं कि ये कितना बुरा और क्या क्या है,किस कदर हमारी कौम की मां, बहन इसका शिकार हो रही है, बस मुख्तसर में इतना समझे कि मुसलमान लड़कियों को अलग अलग तरीके से बहला फुसला कर इज़्ज़त आबरू ईमान सब छीनने वाले काम करते है और ये फुल ट्रेनिंग के साथ इस मिशन में उतरे है यहां तक की उर्दू बोलना पढ़ना भी सीख कर अपने मिशन को कामयाब कर रहे फिर कौम की मां बहन को अपने जाल में फसाते और शादी करके अपना नस्ल बढ़ाना नहीं बल्कि मुसलमान की नस्ल कम करना चाहते हैं क्योंकि ऐसी लड़की से तो अब कोई मुस्लिम शादी नहीं कर सकते, और भी बहुत है हम इस पर कलाम नहीं करना चाहते हैं, इसके नुकसान बहुत है और तरीक़े भी उन लोगों के बहुत है, (मैं इसका मुशाहिदा नहीं किया हूं इसलिए कामिल एहतियात नहीं बता सकता लेकिन जितना हो सके कोशिश करूंगा बताने की) सब से पहले हम ये देखें कि ये सब शुरू कहां कहां से होता है ? जवाब आएगा {1} सोशल मीडिया से {2}मोबाइल के गलत इस्तेमाल से {3} लड़की के आधार से सिम कार्ड से {4} बे परदगी रह कर घूमने फिरने से {5} नौकरी के लिए बाहर जाना {6} गैर मुस्लिम लड़कियों से दोस्ती {7} गैर मुस्लिम लड़को से दोस्ती करने से {8} collage school life दोस्ती, {9} और उन बे हया लड़कियों से भी दोस्ती जो प्यार वगैरा के चक्कर में फंसी रहती है, बे परदगी करती है {10} घर के अंदर भाई, बाप के साथ कोई उसका दोस्त गैर मुस्लिम का आना, इन सारी जगहों से शुरू होती है, (ख्याल रहे हम सिर्फ उन्हीं पहलुओं पर बात करेंगे जिसके ज़रिए होते हैं या मुमकिन हो) इतना तो समझ में आ गया होगा कि इन सब जगहों को हमें (मेरी बहनों को) बंद और खत्म करना होगा, तभी इस से बच पाएगी और महफूज़ रहेंगे, इसे बारीकी से जाने कैसे कैसे होते हैं ...... ٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭ बुराई जितनी बुरी हो, एक दिन मिट ही जाती है ؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞؞ ¹⁰घर में किसी के साथ आने से" हमारे ऊर्फे आम में यह भी एक गलत तरीक़ा है कि हमारे घर के कुछ मर्द हज़रात गैर मुस्लिम से बहुत खास दोस्ती रखते हैं जोकि पहले से दुरुस्त नहीं है, और इतने खास हो जाते हैं कि घर के अंदर मेहमान बना कर लाते हैं, इसी तरह हमारे आजू बाजू के गैर मुस्लिम पड़ोसी को भी ले आते हैं, और ज़ाहिर है कि घर की ख्वातीन आयेगी जायेगी तो नज़र का पड़ना देखना जिस के बाद हो सके एक ज़ेहन में गलत चीज़ जन्म ले और उसके बाद अगर दोनों तरफ से बढ़ गई तो फिर बात चीत फिर आगे........समझ सकते हैं हमारी बहने इस में क्या करें ? इस में सब से पहले मर्दों को चाहिए कि किसी भी गैर मुस्लिम या फितना परस्त दोस्त को घर के अंदर न लाए, अगर कोई गलती से घर आ गया तो हमारी बहनों को चाहिए हमेशा की तरह बा पर्दा तरीक़े से रहें, और उसको खाने पीने के चीज़ या दीगर जरूरत के लिए खुद देने न जाए बल्कि मर्द हज़रात पूरी करे या किसी छोटे बच्चे के हाथ से दिलवाए, और हर तरह से कोशिश करे कि आप उनके सामने न होने पाए और जल्दी चले जाए, फिर जो लेकर आए थे उनसे बोले कि आइंदा इस तरह से न लाए, क्योंकि इस तरह से घर में लाने से उनकी दोस्ती और महब्बत में इज़ाफा होगा जोकि दुरुस्त नहीं, काफिरों से दोस्ती करने को मना किया गया है, इसी तरह हमारी बड़ी बूढ़ी भी कम नहीं होती वो भी इस तरह किसी को घर में बुला या ले आती है बेटा बेटा कह के, उन्हें भी इस से बचना चाहिए, क्योंकि ये सब एक फितने का दरवाज़ा खोलना है! ⁹कॉलेज, स्कूल लाइफ की दोस्ती, हमारे मुआशरे में शुरू से ही हमारे घर में किसी चीज़ पर ध्यान नहीं देते, खुसूसन औलाद पर कि उसे सही तालीम दे जो हमें हमारा दीन सिखाता है, यानी औलाद की सही तरबियत करना, अगर हम इस पर ध्यान देते हुवे सिखा समझा कर रखते तो कभी भी लड़की के ज़बान पर ये सब नहीं आता कि "ये तो मेरा collage फ्रेंड है" मतलब उसके लिए इतना कॉमन वर्ड हो गया है कि जैसे इस में कोई खराबी ही नहीं, फ्रेंड मतलब उनसे बात चीत एक दूसरे की हालात शेयर करना हर तरह के प्रॉब्लम को दूर करना, चाहे वो लड़का हो या लड़की, अगर हम बचपन से ये तालीम दिए होते, कि बेटी इस्लाम में गैर मर्दों से पर्दे करने का हुक्म है, उनसे पर्दे के साथ रहना, उनसे कलाम सलाम न करना, और न उन सबसे कभी दोस्ती करना वगैरा तो आज ये दिन हमें शायद न देखना पड़ता! बहर हाल इस दोस्ती ने बहुत से हमारी मुसलमान बहनों को तबाहो बर्बाद किया है उनके इज्ज़त आबरू ईमान सब का जनाज़ा निकाल दिया है, और सब से ज्यादा इसी में फंसने के बाद उन लोगों को कामयाबी मिलती है, क्योंकि वो एक दोस्त है, और इंसान दोस्त से हर तरह की बातें शेयर करते हैं उनका कहा मानते हैं, अरे जितना शैतान के बहकावे से कोई गलत काम नहीं करोगे उस से ज्यादा तुम्हें बुरे दोस्त गलत करवा देगा और तुम ज़रूर करोगे, और धीरे धीर यही दोस्ती लड़का लड़की का प्यार में बदल जाता है, और इन लोगों का रास्ता आसान हो जाता है, लेकिन तुम इज़्ज़त से, और ईमान से भी गई, आबरू तो तुम्हारा पहले ही चला गया हमारी बहने इस में क्या करें ? हमारी बहनों को चाहिए कि ऐसी स्कूल कॉलेज में पढ़ाई न करें जहां बा परदा तरीक़े से रहने को मना किया जाता हो, और मुमकिन हो तो किसी ऐसे मदरसे में तालीम हासिल करें जहां दीन और दुनिया दोनों पढ़ाते हों, और अगर यह मुमकिन न हो और फिर भी जाना पड़े तो बा परदा तरीक़े से रहे, किसी गैर लड़कों से दोस्ती हरगिज़ न करे, न किसी गैर मुस्लिम लड़कियों से खास दोस्ती करे, बल्कि अपनी ज़रूरत से काम रखे, कोई लड़का करना भी चाहे तो हर तरह से इंकार और नफरत करे, उनसे बात चीत सब बंद करदे, न माने तो आगे शिकायत दर्ज करें जहां से उसे कंट्रोल किया जा सके, और अगर ये सब भी मुमकिन न हो बे परदगी होगी ही, लड़के छेड़छाड़ करेंगे ही वगैरा, तो ऐसे पढ़ाई का क्या फायदा, जो दीन से दूर करके गुनाहों में मुनव्वस कर (डाल) दे, और अक्सर ख्वातीन दौरे हाजिर में बड़े पोस्ट पर बहुत कम नज़र आती है खास तौर पर मुस्लिम, और गरीब घर की बेटी तो वैसे भी शादी के बाद घर में ही रहना है वही झाड़ू खाना बर्तन वगैरा, तो ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा आपको, जो आखिरत से भी गई और दुनिया का कोई ऊंचा मक़ाम भी न पा सकी, और अगर आप किसी बड़े घर से हैं और पढ़ाई छोड़ने से नुकसान का अंदेशा हो वालिदैन के खौफ वगैरा का, तो जहां तक हो एहतियात करते हुवे पढ़े, वरना छोड़ना ही बेहतर है, जबकि पढ़ाई छोड़ने की वजह यही सब हो (क्योंकि पानी जब तक सर से नीचे हो गुंजाइश है अगर ऊपर चला गया तो डूबना तय है इसी तरह जहां तक बच पाना मुमकिन हो बचे वरना गुनाह में पड़ने का सही अंदेशा हो तो बचना फ़र्ज़ होगा अब न बचेगी तो गुनहगार होगी) बहर हाल लड़कों से किसी तरह दोस्ती दुरुस्त नहीं, खयाल रहे हम ये नहीं चाहते कि औरतें इल्म से दूर हो बल्कि ये चाहते हैं कि इज्जत आबरू महफूज हो!

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